व्यापार में वृद्धि व उन्नति के सटीक उपाय

व्यापार में वृद्धि व उन्नति के सटीक उपाय व्यापार में वृद्धि व उन्नति के लिए सटीक प्रयोगजीवन यापन के लिए प्रत्येक मनुष्य को कुछ न कुछ उद्यम करना ही पड़ता है। हर मनुष्य के लिए यह अनिवार्य क्रिया है। संसार के अन्य प्राणियों की अपेक्षा मनुष्य का संसार कुछ और ही प्रकार का है। संसार … Read more

नवनिर्मित मकान में खुशहाली व धन लाभ के लिए उपाय

नवनिर्मित मकान में खुशहाली व धन लाभ के लिए उपाय नवनिर्मित मकान में खुशहाली व धन लाभ के लिए उपायमेरे स्वयं के सामने इसे कई व्यक्ति आए हे, जो नया मकान या नई दुकान करके परेशानी में आ जाते हे ।इसका मुख्य कारण या तो मकान सही मुहूर्त पर नहीं बना या मुहूर्त सही तरीके … Read more

केतु का कुंडली के बारह भावों पर प्रभाव

केतु का कुंडली के बारह भावों पर प्रभाव द्वादशभावस्थ केतु फल तनुस्थः शिखी बान्धवक्लेशकर्ता तथा दुर्जनेभ्यो भयं व्याकुलत्वम् । कलत्रादिचिन्ता सदोद्वेगिता च शरीरे व्यथा नैकधा मारुती स्यात् ॥१॥ जन्म समय में लग्न का केतु हो तो वह मनुष्य बन्धुओं को क्लेश देनेवाला, दुर्जनों से भय, व्याकुलता, स्त्री-पुत्रादि की चिन्ता, व्यग्रता तथा शरीर में अनेक प्रकार … Read more

राहु का कुंडली के बारह भावों पर अलग अलग प्रभाव

राहु का कुंडली के बारह भावों पर अलग अलग प्रभाव द्वादशभावस्थ राहु फल रोगी सदा देवरिपौ तनुस्थे कुले च मुख्यो बहुजल्पशीलः । रक्तेक्षणः क्रोधपरः कुकर्मरतः सदा साहसकर्मदक्षः ॥१॥ राहु यदि लग्न में हो तो जातक रोगी, अपने कुल में मुख्य, व्यर्थ बहुत बोलनेवाला, लालनेत्र, क्रोधी, कुकर्मी और साहसी होता है।।१।। राहौ धनस्थे कृतचौरवृत्तिः सदावलिप्तो बहुदुःखभागी … Read more

शनि ग्रह का कुंडली के बारह भावों पर प्रभाव

शनि ग्रह का कुंडली के बारह भावों पर प्रभाव द्वादशभावस्थ शनि फल सततमल्पगतिर्मदपीडितस्तपनजे तनुगे खलु चाऽधमः । भवति हीनकचः कृशविग्रहो मितसुहृद्रिपुसद्मनि मानवः ॥१॥ जन्म समय लग्न में शनि हो तो जातक मन्द गति, मद से पीड़ित, नीच सुप्रकृति, अल्प केशवाला, दुर्बल शरीर होता है। यदि शनि अपने शत्रु की राशि में हो तो थोड़े मित्र … Read more

शुक्र का बारह भावों पर प्रभाव

शुक्र का बारह भावों पर प्रभाव द्वादशभावस्थ शुक्र फल जनुषि लग्नगते भृगुनन्दने भवति कार्यरतः परपण्डितः । विमलशिल्पयुते सदने रतो भवति कौतुकहा विधिचेष्टितः ॥१॥ प्रथम भाव में शुक्र हो तो जातक कार्य में तत्पर,पण्डित, उत्तम शिल्पयुत घर माननेवाला, विधि (प्रारब्ध) को प्रबल मानने वाला होता है।॥१॥ परधनेन धनी धनगे भृगौ भवति योषिति वित्तपरो नरः ।रजतसीसधनी गुणशैशवः … Read more

बृहस्पति ग्रह का कुंडली पर शुभ अशुभ प्रभाव

बृहस्पति ग्रह का कुंडली पर शुभ अशुभ प्रभाव विविधवस्त्रविपूर्णकलेवरः कनकरत्वधना है प्रियदर्शनः । वित्तिविंशजनस्य च वल्लभो भवति देवगुरौ तनुगे नरः ॥१॥ तनु भाव में गुरु हो तो वह मनुष्य नाना प्रकार के वस्त्र, सुवर्ण, रल।धन से पूर्ण, सुन्दर स्वरूप वाला, राजा तथा देव, गुरु का प्रिय होता है। सुरगुरौ धनमन्दिरसंश्रिते प्रमुदितो रुचिरप्रमदापतिः । भवति मानधनो … Read more

बुध ग्रह का कुंडली के बारह भावों पर प्रभाव

बुध ग्रह का कुंडली के बारह भावों पर प्रभाव 1)लग्न में बुध हो तो सुन्दर रूप, हृदय दुष्ट किन्तु सुबुद्धि, पण्डित, दरं स्वल्प, कोमल और पवित्र भोजन करनेवाला, सत्यवक्ता, विलासत्रिग अत्यन्त सुखी, सदा परदेश में रहनेवाला होता है।॥१॥ द्वादशभावस्थ बुध फल 2)द्वितीय भाव में बुध हो तो पिता का भक्त, स्थिर, पाप से डरनेवाला, गौरवर्ण, … Read more

मंगल का कुंडली के बारह भावों पर प्रभाव

मंगल का कुंडली के बारह भावों पर प्रभाव द्वादशभावस्थ मंगल फल १)लग्न में मंगल हो तो बाल्यावस्था में पेट और दाँत में रोग वाला, गलखोर, कृशदेह, पापी, कृष्णवर्ण, चञ्चल, नीच का सेवक, मलिन त्रवाला, सब सुख से हीन होता है।॥१॥ २)द्वितीय भाव में मङ्गल हो तो धात्वादी, विदेश में रहनेवाला, ऋण करने में प्रया जुआड़ी, … Read more

चन्द्रमा का बारह भावों पर प्रभाव

चन्द्रमा का बारह भावों पर प्रभाव द्वादशभावस्थ चन्द्रमा के फल 1)जन्म समय में लग्न (प्रथम) भाव में चन्द्रमा हो तो वह मनुष्य बहुत धनों का भोगी, बलवान्, सुन्दर देह वाला होता है। किन्तु यदि चन्द्रमा अपने नीच वृश्चिक) का या पाप से युक्त हो तो निर्बुद्धि, दुःखी और धनहीन बनता है।।१।। २)द्वितीय भाव में चन्द्रमा … Read more

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