शनि की महादशा में क्या होता हे, व उसमें क्या क्या करना चाहिए

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शनि की महादशा के फल
शनि की महादशा सभी के लिए एक समान नहीं होती , कुंडली में शनि किस स्थान में बिराज मान हे उसके आधार पर फल मिलता हे ।
शनि की महादशा में व्यापार नोकरी आदि की समस्याएं बनी रहती हे ,शनि न्याय के देवता हे वो कर्मों के अनुसार फल देते हे ।

शनि की महादशा में आप पर ऐसी बातों के झुठे इल्जाम लगाए जा सकते हैं।
जिनमें आपका सहयोग नगण्य रहा हो। पारिवारिक सुख का भी अभाव रहेगा।
प्रयासों में असफलता अवसाद पैदा कर देगी।
अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। अगर कोई लंबी बीमारी भोग रहे हैं तो पूरे परहेज से रहें।
आपके विरोधी आपकी छवि बिगाड़ने का प्रयास करेंगे। बहसों में न उलझें तो ठीक रहेगा।
सांसारिक सुखों के लिहाज से यह समय अच्छा नहीं है फिर भी धार्मिक एवं आध्यात्मिक कार्यों में लगे रहने से कुछ राहत महसूस होगी।
अतः जिनके सत कर्म हे उन्हें शनि की दशा में भी शुभ फल प्राप्त होते हे।
ओर जिनके कु कर्म हे उन्हें प्रतिकूल फल भोगने ही हे ।
फिर भी शास्त्रों में शनि की शांति के लिए तथा उनके प्रकोप को कम करने के लिए उपाय हे।
आगे में उन्हीं उपायों के बारे में बता रहा हु , व उससे पहले शनि की महादशा में ग्रहों की अंतर्दशा के बारे में जानना भी जरूरी हे ।
महादशा में किस ग्रह का अंतर चल रहा हे उसके बारे में जानकारी आप को कुंडली में मिल जाएगी।
पोस्ट के अंत में आप को शनि के उपाय मिल जाएंगे अतः पोस्ट को अंत तक अवश्य ध्यान पूर्वक पढ़ें ।

शनि की महादशा में क्या होता हे, व उसमें क्या क्या करना चाहिए

शनि की महादशा में शनि की अन्तर्दशा हो तो शरीर में क्लेश, स्त्री, पुत्र बुद्धि में चञ्चलता और विदेश भ्रमण होता है।॥

सौभाग्यं सौख्यविजयं बोधसंस्थानमानतः । सुहृद्वित्तप्रदं सौख्यं सौरस्यान्तर्गते बुधे ॥

शनि की महादशा में बुध का अन्तर हो तो सौभाग्य, सुख, विजय, ज्ञान का उदय, स्थान और आदर के लाभ से सुख, मित्रों से धन लाभ होता है।॥

शनि की महादशा में क्या होता हे, व उसमें क्या क्या करना चाहिए

रक्तपित्तकृता पीडा वित्तचिन्ता न संग्रहः । दुःस्वप्नं बन्धनं चैव केतावन्तर्गते शनेः ।।

शनि की महादशा में केतु की अन्तर्दशा हो तो रक्त-पित्त विकार से पीड़ा, धन की चिन्ता, सञ्चय नहीं हो, दुःस्वप्न दर्शन, बन्धन होता है।

सुहृद्वन्धुवशोयुक्तं भार्यावित्तजयान्वितम् । सुखसौभाग्यवात्सल्यं सौरस्यान्तर्गते सिते ॥

शनि की महादशा में शुक्र की अन्तर्दशा हो तो मित्र और बन्धु में प्रेम, स्त्री-धन-विजय लाभ, सुख और सौभाग्य, प्रेम की वृद्धि होती है।

पुत्रदारधनैर्नाशं करोति सभयं महत् । सौरस्यान्तर्गते भानौ जीवितस्याऽपि संशयः ॥

शनि की महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा हो तो पुत्र, स्त्री और धन की हानि, भय और जीवन का संशय होता है।॥५६॥

शनि की महादशा में क्या होता हे, व उसमें क्या क्या करना चाहिए

मरणं स्त्रीवियोगश्च बन्धुद्वेगोऽसुखं शृणु । क्रुद्धमारुतजो रोगं चन्द्रे चाऽन्तर्गते शनेः ॥

शनि की महादशा में चन्द्र की अन्तर्दशा हो तो मृत्यु, स्त्री का वियोग, बन्धुओं में उद्वेग, दुःख और प्रबल वायु के प्रकोप से रोग होता है।।

देशभ्रंशं तथा दुःखं कुरुते व्याधिभिर्भयम् । अन्तर्दशायां सौरस्य कौज्यां प्राणमहद्भयम् ॥

शनि की महादशा में मङ्गल का अन्तर हो तो देशत्याग, दुःख, रोगों से भय तथा प्राण भय तक होता है।

श्वभ्रवाताङ्गभेदश्च शत्रुभङ्गोऽर्थनाशश्च ज्वरातीसारपीडनम् । राहोरन्तर्गते शनौ ॥

शनि की महादशा में राहु का अन्तर हो तो श्वेत कुष्ठ, वात-व्याधि से शारीरिक कष्ट, ज्वर-अतीसार से पीड़ा और शत्रु से पराजय, धनहानि आदि फल होते हैं।

द्विजदेवार्चनं स्थानप्राप्तिं सौख्यं बहुभृत्यगुणैर्युतम् । कुर्यात्सौरस्यान्तर्गतो भवेत् ॥

शनि की महादशा में गुरु का अन्तर हो तो देवता और ब्राह्मणों में भक्ति, अच्छे नौकर आदि से सुख और स्थान का लाभ होता है।

शनि की महादशा में शुभ फल के लिए उपाय –
1) घर के बड़े बुजुर्गों की सेवा करे।
2) असहायों को दान दे।
3) मंगलवार को हनुमान जी की यथा संभव भक्ति करे।
4) शनिवार को शनि मंदिर में तेल का दिया जलाए।
5) आध्यात्म से जुड़े रहे , व पुण्य शाली काम करते रहे।
6) शनि मंत्र का जाप करते रहे ।
इसके अलावा शनि के उपाय व मंत्र पिछले आर्टिकल में मिल जाएंगे उन्हें भी देख ले।
सभी का मंगल हो।
श्री रस्तू शुभम्

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