मंगल की महादशा के फल
मङ्गल की महादशा में आघात, राजपीड़ा, चोरी, अग्नि, रोग से डर, धन की हानि, कार्य में असफलता, दरिद्रता हो ।॥२१॥
कौज्यां शत्रुविमर्दश्च विग्रहो बन्धुभिः सह । रक्तपित्तकृता पीडा परस्त्रीसङ्गमो भवेत् ॥२२॥
मंगल की महादशा में मंगल की अन्तर्दशा हो तो शत्रु से लड़ाई, भाई-बन्धओं से विरोध, रक्त-पित्त जनित शरीर में पीड़ा तथा अन्य स्त्री से संगम हो।।॥२२॥
भयं भवेत् । शस्त्राग्निचौरशत्रूणामापदां च अर्थनाशो रुजापीडा राहौ मङ्गलवर्तिनि ॥२३॥
मंगल की महादशा में राहु की अन्तर्दशा हो तो शस्त्र, अग्नि, चोर, शत्रु तथा विपत्ति से भय, धन नाश और रोग से पीड़ा हो।।२३।।
पुण्यतीर्थाभिगमनं देवब्राह्मणपूजनम् । जीवे कुजान्तरं प्राप्ते नृपात् किश्चिद्भयं भवेत् ॥ २४॥
मंगल की महादशा में गुरु की अन्तर्दशा हो तो पुण्यतीर्थ गमन, देव- ब्रह्मण पूजन तथा राजा से भय होता है।॥२४॥
उपर्युपरि जायन्ते दुःखान्यपि सहस्त्रशः । जनक्षयं कुजस्यार्की या प्राप्तोऽन्तर्दशा यदा ॥२५॥
मंगल की महादशा में शनि की अन्तर्दशा हो तो एक के बाद एक हमेशा दुःख आते ही रहते हैं तथा जन का नाश होता है॥२५॥
रिपुशस्त्राग्निचौरेभ्यो नाशं प्राप्नोति मानवः । महाक्रूरकृता पीडा कुजस्याऽन्तर्गते बुधे ॥२६॥
मंगल की महादशा में बुध की अन्तर्दशा हो तो शत्रु, शस्त्र, अग्नि तथा चौरादि से भय और महादुष्ट मनुष्य से पीड़ा प्राप्त हो॥२६॥
मेघाशनिभयं घोरं शस्त्राग्नितस्करैस्तथा । क्लेशमाप्नोति भौमस्य केतुरन्तर्गतो यदा ॥२७॥
मंगल की महादशा में केतु की अन्तर्दशा हो तो बिजली गिरने से भय, शस्त्र, अग्नि और चोर से क्लेश हो।।२७।।
शस्त्रकोपभयं व्याधिर्धनक्षयमुपद्रवम् । प्रवासगमनानि स्युः कुजस्याऽन्तर्गते सिते ॥२८॥
मंगल की महादशा में शुक्र की अन्तर्दशा हो तो शस्त्र से भय, व्याधि, धनक्षय, उपद्रव तथा विदेशगमन हो।॥२८॥
मंगल की महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा हो तो प्रचण्ड शासन कर्त्ता, घुड़दौड़ में राजा से घोड़ा जीतने वाला और अनर्थकारी होता हैः।२९।।
नानावित्तसुहृत्सौख्यं युक्तं मुक्तानणिप्रभोः । भौमस्यान्तर्दशां प्राप्तश्चन्द्रमाः कुरुते भृशम् ॥३०॥
मंगल की महादशा में चन्द्र की अन्तर्दशा हो तो अनेक प्रकार के धन तथा मित्र एवं राजपक्ष से सुख, मुक्ता, मणि का लाभ हो।॥३०॥
श्री रस्तू शुभम्