चन्द्रमा की महादशा के फल

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चन्द्रमा की महादशा के फल

सम्यग्विभूतिवरवाहनछत्रयानं क्षेमप्रतापबलवीर्यसुखानि मिष्टान्नपान-शयनासन-भोजनानि तस्य । ॥११॥ चन्द्रो ददाति धनकाञ्चनभूमिलाभम्

चन्द्रमा की महादशा में ऐश्वर्य, वाहन, छत्र, कल्याण, प्रताप, बलवीर सुख, मिष्टान्न भोजन, धन-सुवर्ण और भूमि का लाभ होता है।॥११॥

चन्द्रान्तः स्वपक्षगैश्च चन्द्रमध्ये सर्वेषामन्तरफलम् स्त्रीपुत्रलाभं वस्त्राभरणसंयुतम् । कल्याणमात्मनिद्रारतिर्भवेत् ॥१२॥

चन्द्रदशा में चन्द्रान्तार्दशा हो तो स्त्री और पुत्र से सुख, लाभ, वत्र भूषण, अपने इष्ट-मित्रों से कल्याण और सुख-नींद होती है।॥१२॥

पीडा वह्निचोरपदच्युतिः । अग्निपित्तकृता भवत्यन्तर्दशायां च चन्द्रे भौमो गतो भवेत् ॥१३॥

चन्द्रदशा में मङ्गल का अन्तर हो तो जठराग्नि और पित्तजन्य पीड़ा, आग तथा चोर से भय एवं अपने पद से च्युति हो।।१३।।

रिपुरोगाग्निरुद्वेगो बन्धुनाशो धनक्षयः । न किञ्चित्सुखमाप्नोति चन्द्रे राहुंर्यदाऽनुगः ॥१४॥

चन्द्रमा की महादशा में राहु की अन्तर्दशा हो तो शत्रु, रोग और अग्नि से चित्त में उद्विग्नता, बन्धओं का नाश एवं धन का क्षय और कुछ भी सुख नहीं हो ॥१४॥
चन्द्रमा की महादशा में गुरु की अन्तर्दशा हो तो धर्माधर्म विचार द्वारा सुख की प्राप्ति, वस्त्र और अलंकार (आभूषण) से जय हो।।१५।।

बन्धूद्वेगं शोकभयं हानिव्यसनदोषकम् । भवन्ति तत्र सन्देहाश्चन्द्रस्यान्तर्गते शनौ ॥१६॥

चन्द्रमा की महादशा में शनि की अन्तर्दशा हो तो बन्धुओं द्वारा उद्वेग, जोक, भय, कष्ट, एवं सन्देह की वृद्धि होती है।॥१६॥

सर्वत्र लभते लाभं गजाश्चैर्गोधनादिकैः । भवत्यन्तर्दशायां हि चन्द्रस्यान्तर्गते बुधे ॥१७॥

चन्द्रमा की महादशा में बुध की अन्तर्दशा हो तो सर्वत्र लाभ, हाथी, घोड़ा, गाय इत्यादि की प्राप्ति हो।।१७।।

चापल्यं चोद्वेगवृद्धिर्बन्धुहानिर्धनक्षयः । जायतेऽन्तर्गते केतौ चन्द्रस्यैव यदाऽनुगः ॥१८॥

चन्द्रमा की महादशा में केतु की अन्तर्दशा हो तो चञ्चलता, उद्वेग वृद्धि, बन्धु हानि तथा धन क्षय हो।।१८॥

बहुस्त्रीसङ्गमं चाऽथ कन्यकाजन्म एव च । मुक्ताहारमणिप्राप्तिश्चन्द्रस्यान्तर्गते सिते ॥१९॥

चन्द्रमा की महादशा में शुक्र की अन्तर्दशा हो तो बहुत स्त्रियों के साथ संगम, कन्या का जन्म, मुक्ताहार, मणि आदि प्राप्त होते हैं।॥१९॥

जनप्रभावसौख्यं च व्याधिनाशं रिपुक्षयम् । ऐश्वर्यं सौख्यमतुलं चन्द्रमर्काऽनुगो यदि ॥२०॥

चन्द्रमा की महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा हो तो जनता में प्रभाव, सुख, व्याधिनाश, शत्रुक्षय, ऐश्वर्य और जिसकी तुलना न हो ऐसा सुख मिले॥२०॥

श्री रस्तू शुभम्

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