नवग्रह शांति के उपाय

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नवग्रह शांति के उपाय

ग्राहो के अनिष्ट से बचने के उपाय।

प्राय देखा गया हे कि ग्रहों के अनिष्टकारी परिणाम मनुष्य को संकट में डाल देते हे।
इसीलिए इनकी शांति के साधन वर्णित हे ।
प्रत्येक गृह के कुपित होने पर मंत्र जप व उपाय का विधान हे।
परंतु उपाय कठिन होने पर सर्व सामान्य जन उन उपायों को नहीं कर पाते , कुछ प्रामाणिक ग्रंथों में सरलतम उपाय दिए गए हे जिन्हें प्रयोग करके संबंधित ग्रह के अनिष्ट से बचा जा सकता हे।

प्रत्येक ग्रह की साधना के लिए प्रातः काल उठकर दैनिक क्रियाओं से निवृत होके , स्नान ध्यान आदि करके , संबंधित ग्रह को मन ही मन प्रणाम कर ध्यान करे।
तथा लगातार कम से कम 31 बार मंत्र का जप करे ।
कौनसा ग्रह किस समय अनिष्ट कर रहा हे , इसका ज्ञान आप कुंडली से कर सकते हे । या किसी ज्योतिषी से परामर्श ले सकते हे ।

ग्रहों की शांति के मंत्र –
१)सूर्य-ओ३म् ह्रीं घ्राणि सूर्य आदित्यं श्रीं।

२)चन्द्र-ओ३म् श्रीं श्रीं श्रृं श्रौः सः चन्द्राय नमः ।

३)मंगल – ओ३म् क्रां क्रीं कूं सः भौमाय नमः ।

४)बुध – ओ३म् ब्रां व्रीं व्रीं सः बुधाय नमः ।

५)गुरु – ओ३म् वं वृहस्पतये नमः ।

६)शुक्र – ओ३म् द्रां द्रों द्रौं शुक्राय नमः ।

७)शनि-ओ३म् प्रां प्रों प्रौ सः शनैश्चराय नमः ।

८)राहु-ओ३म् भ्राँ भ्रीं भ्रौं सः राहुवे नमः ।

९)केतु-ओ३म् सत्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतुवे नमः ।

इसके अलावा आप इस एक मंत्र का प्रयोग भी कर सकते हे –

ब्रह्ममुरारी त्रिपुरांतकारी भानु शशि भूमी सुतो बुधश्च । गुरुश्च शुक्र शनि राहू केतवे कुर्वन्तु सर्वमय सुप्रभातम ।।

इसके अलावा आप पुराणोक्त नवग्रह मंत्र का जप व वेदोक्त नवग्रह मंत्र का जाप भी कर सकते हे –

पुराणोक्त नवग्रह मंत्र–

सूर्यमंत्रः- हीं जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम् । तमोरिं सर्वपापप्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ।। १ ।।

चंद्रमंत्रः- ह्रीं दधिशङ्खतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम् । नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूपणम् ।। २ ।।

भौममंत्रः- ह्रीं धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम् । कुमारं शक्तिहस्तं तं मङ्गलं प्रणमाम्यहम् ।। ३ ।।

बुधमंत्रः- हीं प्रियङ्गुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम् । सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् ॥ ४ ॥

बृहस्पतिमंत्रः- ह्रीं देवानां च ऋषीणां च गुरुं काञ्चनसंनिभम् । बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम् ।। ५ ।।

शुक्रमंत्रः- हीं हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम् । सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् ।। ६ ।।

शनैश्वरमंत्रः- हीं नीलाञ्जनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् । छायामार्तडसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम् ॥ ७ ॥

राहुमंत्रः- हीं अर्धकायं महावीर्य चन्द्रादित्य विमर्दनम् । सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम् ॥ ८ ॥

केतुमंत्रः- हीं पलाशपुष्यसंकाशं तारकाग्रहमस्तकम् । रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम् ॥ ९ ॥

वेदोक्त नवग्रह मंत्र–

सूर्य–ॐ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवे- शयन्त्रमृतम्मर्त्यञ्च हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन् ॥

चंद्र–ॐ इमन्देवाऽसपत्नं सुवध्वंमहते क्षेत्राय महते ज्यैष्ठाय्याय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय। इमममुष्य पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विशऽएष वोऽमी राजा सौमोऽस्माकं ब्राह्मणानां राजा ॥

मंगल–ॐ अग्निर्मूर्द्धादिवः ककुत्पतिः पृथिव्या- ऽअयम । अपां रेतां सि जिंवति ॥

बुध–ॐ उदबुध्यस्वाग्रे प्रति जागृहि त्वमिष्टापूत्क्र्ते सर्वं सृजेथामयं च अस्मिन्त्सधस्थेऽअध्युत्त- रस्मिन् विश्वे देवा यजमानश्चसीदत ॥

गुरु–ॐ बृहस्पतेऽअति यदर्योऽअर्हाद्युमद्वि- भाति क्रतुमज्जनेषु यद्दीदयच्छवसऽऋ- तप्रजाततदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्||

शुक्र–ॐ अन्नात् परिस्त्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपि – वत्क्षत्रम्पयः सोमं प्रजापतिः । ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपानर्ठशुक्रमंधसऽइन्द्र- स्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतम्मधु ॥

शनि–ॐ शन्नो देवीरभिष्ट ऽआपो भवन्तु पीयते। शय्योरभिस्त्रवन्तु नः

राहु–ॐ कयानश्चित्रऽआभुवदूती सदा वृधः सखा। कया शचिष्ठया वृता ॥

केतु–ॐ केतुं कृण्वन्न केतवे पेशो मर्य्या- अपेशसे समुषद्भिरजायथाः ॥

इसके अलावा ग्रहों का दान भी कर सकते हे ।

ग्रहों की दान सामग्री –

सूर्य– गेहूं , धेनु(गाय) , रक्त वस्त्र , गुड , ताम्र ,रक्त चंदन ,रक्त कमल ।

चन्द्र– पात्र, चावल , कर्पूर , मोती , श्वेत वस्त्र , घी का भर हुआ लौटा, शंख।

मंगल – गेहूं , मसूर , गुड , स्वर्ण ,लाल वस्त्र ,तांबा।

बुध– मूंग, हरा वस्त्र , सोना , कासा , घी, पंच रत्न ,हाथी दांत ,पन्ना ।

गुरु – शक्कर, मधु, हल्दी , अश्व , पीला वस्त्र , पीला धान, पुस्तक , लवण , पुखराज , पीला फूल ।

शुक्र– चित्रांबर , श्वेत अश्व , गाय , हीरा , सीसा, सोना ,सुगंध , घी, चांदी।

शनि –उड़द , तिल , तेल ,कुलीथ ,महिषी , लोह, काली गाय, इंद्र नील, काले कपड़े ।

राहु– गेहूं, रत्न , गौड़ा, नीले कपड़े , कंबल , तिल ,तेल ,लोह ,अभ्रक ।

केतु– वैडुरय, तिल , कंबल , कस्तूरी , शस्त्र, काले कपड़े , तेल , छाग।

यह सभी उपाय करके आप सभी जीवन को सुखमय बना सकते हे ।

श्री रस्तू शुभम्

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