सूर्य का बारह भावों पर प्रभाव

Spread the love

सूर्य का बारह भावों पर प्रभाव

जन्म कुंडली के अनुसार 12 भावों पर सूर्य ग्रह का प्रभाव।
यह प्रभाव सभी के लिए अलग अलग तरीके से हो सकते हे। इनके कुछ फल सभी ग्रहों के मिल मिलाप से ही कहे जा सकते हे।
यहां में आप सभी को सामान्य जानकारी दे रहा हु ,जो सर्व सामान्य के लिए उपयोगी हे ।

द्वादशभावस्थ सूर्य के फल
सवितरि तनुसंस्थो शैशवे व्याधियुक्तोनयनगदसुदुःखी न भवति भ्रमति नीचसेवानुरक्तः । गृहमेधी दैवयुक्तो मनुष्यो विकलमूर्तिः पुत्रपौत्रैर्विहीनः ॥१॥

सूर्य तनुभाव में हो तो वह जातक बाल्यावस्था में रोगी, नेत्र रोग से दुःखी, नीच का सेवक, गृह सुख से हीन, प्रारब्धवादी, विकल शरीर और सन्तानहीन होता है।॥१॥

धनगतदिननाथे पुत्रदारैर्विहीनः कृशतनुरतिदीनो रक्तनेत्रः कुकेशः ।

भवति च धनयुक्तो लोहताम्रेण सत्यं न भवति गृहमेधी मानवो दुःखभागी ॥२॥

द्वितीय भाव में सूर्य हो तो स्त्री और सन्तान से हीन, कृश शरीर, दीन, लाल नेत्र वाला, खराब केश वाला, लोहा और ताँबा के व्यापार से धनी, गृह से हीन और दुःखी होता है।॥२॥

सहजभवनसंस्थो भास्करे भ्रातृनाशः प्रियजनहितकारी पुत्रदाराभियुक्तः ।
निधनगतदिनागरीप्रीतिकारी ॥३॥ भवति च धनयुक्तो धैर्ययुक्तः सहिष्णु- र्विपुलधनविहारी
तृतीय भाव में सूर्य हो तो सहोदरहीन, अपने मित्रों का हितकारी, स्त्री पुत्रादि से युक्त, धनी, धैर्यवान्, क्षमाशील और स्त्रियों का प्रिय होता है।॥३
विविधजनविहारी बन्धुसंस्थो दिनेशो भवति च मृदुचेता गीतवाद्यांनुरक्तः ।
समरशिरसि युद्धे नास्ति भङ्गः कदाचित् प्रचुरधनकलत्री पार्थिवानां प्रियश्च ॥४॥
चतुर्थ भाव में सूर्य हो तो सब प्रकार के लोगों में मिलनेवाला, कोमल हृदय, संगीतज्ञ, रण में विजयी, धन और स्त्री सुख सहित सदा राजा का प्रिय होता है।।४।।
तनयगतदिनेशे शैशवे दुःखभागी न भवति धनभागी यौवने व्याधियुक्तः । जनयति सुतमेकं चान्यगेहश्च शूर- श्चपलमतिविलासी क्रूरकर्मा कुचेताः ॥५॥

पञ्चम भाव में सूर्य हो तो बाल्यावस्था में दुःखी, युवावस्था में अधनी, रोग से युक्त, एक पुत्र वाला, परघरवासी, क्रूर, चंचल, नीच कर्म करनेवाला तथा दुष्ट हृदय होता है।॥५॥

अरिगृहगतभानौ योगशीलो मतिस्थो निजजनहितकारी ज्ञातिवर्गप्रमोदी ।
कृशतनुगृहमेधी चारुमूर्तिर्विलासी भवति च रिपुजेता कर्मपूज्यो दृढाङ्गः ॥६॥
षष्ठभाव में रवि हो तो योगी, सुबुद्धि, अपने परिजनों का पोषक, ज्ञानियों में श्रेष्ठ, कृशदेह, गृह सुख से युक्त, उत्तम रूप, विलासी, शत्रु को जीतने वाला, सत्कर्म से लोक में पूज्य और दृढ़ देह वाला होता है।।६।।

युवतिभवनसंस्थो भास्करे स्त्रीविलासी न भवति सुखभागी चञ्चलः पापशीलः । उदरसमशरीरो नातिदीर्घो न ह्रस्वोः कपिलनयनरूपः पिङ्गकेशः कुमूर्तिः ॥७॥

सप्तम भाव में सूर्य हो तो स्त्री के साथ विलास करने वाला, किन्तु अन्य सुख से रहित, चंचल, पापी, समदेह (न लम्बा न छोटा), कपिल वर्ण नेत्र, पिङ्गलवर्ण केशवाला और कुरूप होता है।॥७॥

निधनगतदिनेशे चञ्चलस्त्यागशीलः किल बुधगणसेवी सर्वदा रोगयुक्तः ।
वितथबहुलभाषी भाग्यहीनो विशीलो रतिविहितकुचैलो नीचसेवी प्रवासी ॥८॥
जन्म लग्न में सूर्य अष्टमभाव में हो तो चञ्चल, त्यागी, विद्वान् का आदर करने वाला, सदा रोग से पीड़ित, व्यर्थ अधिक बोलने वाला, भाग्यहीन शील रहित, कुवस्त्रधारी, नीच का सेवक और परदेशवासी होता है।॥८

ग्रहगतदिननाथे सत्यवादी सुकेशी कुलजनहितकारी देवविप्रानुरक्तः । प्रथमवयसि रोगी यौवने स्थैर्ययुक्तो बहुतरधनयुक्तो दीर्घजीवी सुमूर्तिः ॥९॥
नवम भाव में रवि हो तो वह मनुष्य-सत्य वक्ता, सुन्दर केश वाला, अपने परिजनों का हित करने वाला, देव और ब्राह्मणों का भक्त, बाल्यावस्था में रोगी, युवावस्था में स्थिरता से युक्त, धनवान्, दीर्घायु और सुरूप होता है।॥९॥
दशमभवनसंस्थे तीव्रभानौ मनुष्यो गुणगणसुखभागी दानशीलोऽभिमानी । मृदुलघुशुचियुक्तो नृत्यगीतानुरागी नरपतिरतिपूज्यः शेषकाले च रोगी ॥१०॥
दशम भाव में सूर्य हो तो गुण-गणों से युक्त, दानी, अभिमानी, कोमल हृदय, नाटे कद का, पवित्रता प्रिय, नृत्य और गीत में प्रेम रखनेवाला, राजा का मान्य और अन्तिम वयस में रोगी होता है।॥१०॥
बहुतरधनभागी चायसंस्थे दिनेशे नरपतिगृहसेवी भोगहीनो गुणज्ञः । कृशतनुधनयुक्तः कामिनीचित्तहारी भवति चपलमूर्तिर्जातिवर्गप्रमोदी ॥११॥
एकादश भाव में रवि हो तो-बहुत धनवान्, राजा का सेवक, भोगहीन, गुणग्राही, कृशदेह, धनयुक्त, स्त्रियों का प्रिय, चञ्चल और अपनी जातियों में प्रेम रखनेवाला होता है।॥११॥
जडमतिरतिकामी चाऽन्ययोषि‌द्विलासी विहगगणविधाती दुष्टचेताः कुमूर्तिः । नरपतिधनयुक्तो द्वादशस्थे दिनेशे कथकजनविरोधी जङ्घरोगी कृशाङ्गः ॥१२॥
द्वादश भाव में सूर्य हो तो मन्द, बुद्धि, कामी, परस्त्रीगामी, पक्षियों को मारने वाला, दुष्ट हृदय वाला, कुरूप, राजा के आश्रय से धन पानेवाला एवं कथावाचकों का विरोधी और जाँघ में रोग वाला होता है।॥१२॥

श्री रस्तू शुभम

Leave a Comment

Astro Kushal