बगलामुखी मंत्र प्रयोग लक्ष्मी प्राप्ति के लिए

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बगला मुखी उपासना शत्रुनाशक है तो लक्ष्मी प्राप्तिकारक भी रोग स्तभन में मृत्युञ्जय के साथ इसका प्रयोग भी करना चाहिये परन्तु भावना यह रहे की इससे रोग व शत्रु का स्तंभन हो रहा है। शत्रु द्वारा किये गये अभिचार को भी शमन करती है ऐसी स्थिति में भगवति बगलामुखि का अभिषेक पहिले सरसों के तेल से करके स्तोत्र पढ़कर फिर दुग्धादि से अभिषेक करें। अलग-अलग कामना के लिये अलग-अलग मंत्र व स्तोत्र तथा हवन, अभिषेक द्रव्य

षटत्रिंशदक्षर बगलामुखी मंत्र

१. विनियोग ॐ अस्य श्री बगलामुखी मंत्रस्य नारद ऋषि त्रिष्टुप छन्दः श्रीबगलामुखी देवता ह्रीं बीजं स्वाहा शक्तिः प्रणवः कीलकं श्री महामाया बगलामुखी देवता वरप्रसाद सिद्धि द्वारा मम सन्निहितानाम् असन्निहितानां विरोधिनां दुष्टानां वाङ्‌मुखबुद्धीं गतिं स्तंभनार्थे जिह्वां कीलनार्थे सर्वोपद्रव शमनार्थे ममाभीष्ट सिद्धचर्थे जपे विनियोग ।

२. ऋष्यादिन्यास – शिरसि नारदऋषयेनमः। मुखे – त्रिष्टुप्छन्द से नमः । हृदि बगलामुख्यैनमः । गुह्ये ह्रीं बीजाय नमः । पादयोः स्वाहा, शक्तये । प्रणव कीलकाय नमः सर्वाङ्गे ।

बगलामुखी मंत्र प्रयोग लक्ष्मी प्राप्ति के लिए

३. षडङ्गन्यास

ॐ ह्रीं – अगुष्ठाभ्यां नमः । हृदयाय नमः ।

बगलामुखी – तर्जनीभ्यां नमः । शिरसे स्वाहा ।

सर्वदुष्टानां – मध्यमाभ्यां नमः । शिखायै वषद ।

वाचं मुखं पदं स्तंभय अनामिकाभ्यांनमः । कवचाय हूं।

जिह्वां कीलय – किनिष्ठिकाभ्यां नमः । नेत्रत्रयाय वौषट ।

बुद्धिं विनाशय ह्वी ॐ स्वाहा, करतल पृष्ठाभ्यां नमः । अस्त्राय फट्।
जप मंत्र

ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय । जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा ॥

ध्यानं

मध्ये सुधाब्धि मणिमण्डप रत्नवेद्यां, सिंहासनोपरिगतां परिपीतवर्णी। पीताम्बराभरण माल्य विभूषितार्डी, देवीं भजामि धृतमुद्गर वैरिजिह्वाम् ॥१॥ जिह्वाग्रमादाय करेण देवीं वामेन शत्रून् परिपीडयन्तीं गदाभिघातेन च दक्षिणेन पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि ॥२॥

मंत्र द्वितीय प्रकार

अन्य मंत्र निम्न मंत्र का दुर्गा सप्तशती के संपुट लगाकर प्रयोग करने से भूमि दोष, प्रेतादि दोष, राज्य, शत्रु बाधा दमन होकर बंद होने के कगार पर पहुँचने वाले उद्योगो में भी तरक्की हुई अनूभूत है ।

/ विनियोग ॐ अस्य श्रीबगलामुखी ब्रह्मास्त्र मंत्रस्य भैरव ऋषि विराट् छन्दः श्री बगलामुखी देवता, क्लीं बीजम् ऐं शक्तिः श्रीं कीलकं श्री महामाया बगलामुखी वरप्रसाद सिद्धि द्वारा ममसर्वाभीष्ट सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।

ऋष्यादि न्यास – शिरसि, भैरव ऋषयेनमः । मुखे, विराट् छन्द से नमः । हृदि, बगलामुखी देवतायै नमः। गुह्ये क्लीं बीजाय नमः । पादयो, एं शक्तये नमः । सर्वाङ्गे, श्रीं कीलकाय नमः ।

षडङ्गन्यास

ॐ ह्रीं ऐं श्रीं क्लीं-अगुष्ठाभ्यां नमः ।हृदयाय नमः ।

श्री बगलानने – तर्जनीभ्यां नमः ।शिरसे स्वाहा ।

ममरिपून नाशय नाशय- मध्यमाभ्यां नमः । शिखायै वषट् ।

ममैश्वर्याणि देहि देहि- अनामिकाभ्यांनमः । कवचाय हुँ।

शीघ्र मनोवांछितं कार्य साधय- साधय- कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।नेत्रत्रयाय वौषट् ।

ह्रीं स्वाहा करतल – करपृष्ठाभ्यां नमः। अस्त्राय फट् ।

सौवर्णासन संस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लासिनीम् । हेमाभाङ्ग रुचिं शशाङ्कमुकुटां सच्चम्पक स्रग्युताम् ॥ हस्तैर्मुद्गर पाश वज्र रसनाः संबिभ्रतीं भूषणैः । व्याप्ताङ्गीं बगलामुखीं त्रिजगतां संस्तम्भिनीं चिन्तयेत् ।।

ॐ ह्रीं ऐं श्रीं क्लीं श्री बगलानने मम रिपून नाशय नाशय, ममैश्वर्याणि देहि देहि शीघ्रं मनोवांछितं कार्य साधय साधय ह्रीं श्रीं स्वाहा ॥

या

श्रीं ह्रीं ऐं क्लीं श्री बगलानने मम रिपून नाशय नाशय ममैश्वर्याणि देहि देहि शीघ्रं मनोवांछितं कार्य साधय साधय ह्रीं श्रीं स्वाहा ।।

बगलामुखी मंत्र प्रयोग लक्ष्मी प्राप्ति के लिए

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