मकर संक्रांति का महत्व व पुण्य काल

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मकर संक्रान्ति

मकर संक्रान्ति हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मकर संक्रान्ति पर दान पुण्य का विशेष महत्व हैं।
वैसे तो 12 महीनों में 12 संक्रांति आती हे पर मकर संक्रांति का विशेष महत्व हे।
12 संक्रांतियों पर भगवान सूर्य का पूजन अर्चन करना चाहिए ।
विशेष रूप से मकर संक्रांति पर।

मकर संक्रान्ति का दिन सूर्य भगवान को समर्पित है, संक्रान्ति का दिन सूर्य भगवान की पूजा का विशेष अवसर हैं। जब सूर्य मकर राशी में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रान्ति मनाई जाति हैं।

वहि दक्षिण भारत में प्रसिद्ध मान्यतायों के अनुसार संक्रांति के अगले दिन भगवान की भी पूजा की जाति है। मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने मकर संक्रान्ति के अगले दिन गोवर्धन पर्वत को उगाया था।

अधिकांश प्रदेशों में संक्रान्ति महोत्सव दो से चार दिनों तक चलता हैं। प्रत्येक दिन संक्रान्ति उत्सव अलग-अलग नामो के साथ मनाया जाता है।

1)लोहडी, माधी, भोगी पण्डिगाई।

२) मकर संक्रान्ति, पोंगल, पेड्डा पाण्डुगा, उत्तरायण, माघ, लिहु ।

३) महू पोंगल, कनुमा पाण्डुगा।

४) कानुम पोंगल, मुक्कानुमा

संक्रान्ति पर किए जाने वाले महत्वपूर्ण कार्य:-

१)सुर्योदय से पहले स्नान करना ।

2) संध्या वंदन करना।

3) उगते हुए सूर्य देव की पूजा करना।

५) तिर्थों का स्नान करना।

१) जरूरत मंदों को दान – भिक्षा देना।

6) तिल के लड्डू व गुड की मिठाइ‌यों बनाना।

१) पोंगल बनाकर बांटना।

मकर संक्रान्ति मुहुर्त 2025

संक्रान्ति दिनांक = 14 जनवरी 2025

संक्रान्ति गोचर दिनांक = 14 जनवरी 2025

संक्रान्ति समय संक्रान्ति घटिः = 9:03 AM = S (दिनमान)

संक्रान्ति चन्द्रशशी = कर्क

संक्रान्ति नक्षत्र = पुनर्वसु (चर संज्ञक)

बालव करण संक्रान्ति के साव्य वाहन व्याघ्र पर सवार है।

मकर संक्रान्ति पुण्य काल- 09:03 AM से 6:07PM

मकर संक्रान्ति महा पुण्य काल 09:03 AM से 10:51 AM

मकर संक्रांति का महत्व व पुण्य काल

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